गेंहू की एमएसपी कीमतों में बढ़ोतरी, गेंहू खरीद ने तोड़े 4 साल के रिकॉर्ड Govt Wheat Record Purchase

By Prerna Gupta

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Govt Wheat Record Purchase

Govt Wheat Record Purchase – हरियाणा में इस साल गेहूं की खरीद ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। रबी सीजन 2025-26 के दौरान 1 अप्रैल से 14 मई तक कुल 74.95 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद की गई है। ये आंकड़ा पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा है। इससे साफ है कि सरकार की नीतियां अब ज़मीन पर असर दिखा रही हैं और किसान खुलकर अपनी फसल सरकारी एजेंसियों को बेच रहे हैं।

केंद्र और राज्य की भागीदारी से हुआ बड़ा काम

इस बार खरीदे गए गेहूं में से 72.90 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्र सरकार के पूल में और 2.05 लाख मीट्रिक टन राज्य कोटे में शामिल किया गया है। यानी ये सारा अनाज अब जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के ज़रिए जरूरतमंदों तक पहुंचेगा। अच्छी बात ये रही कि खरीदे गए गेहूं में से 97.40% का उठान भी हो चुका है, जिससे यह साफ होता है कि सिस्टम इस बार काफी चुस्त रहा।

पिछली बार पीछे रहा था हरियाणा, इस बार निकला आगे

2024-25 में हरियाणा ने 71.46 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था, लेकिन वो अपने लक्ष्य से थोड़ा पीछे रह गया था। इस बार राज्य ने 75 लाख मीट्रिक टन का टारगेट सेट किया और उसे पार भी कर दिया। इतना ही नहीं, इसने पिछले चार सालों का रिकॉर्ड भी तोड़ डाला। किसान और सरकार, दोनों के बीच बेहतर तालमेल का नतीजा है यह उपलब्धि।

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गेहूं खरीद में लगी रहीं ये 4 बड़ी एजेंसियां

इस पूरी प्रक्रिया में चार अहम एजेंसियों की भूमिका रही—खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, हैफेड, हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन और भारतीय खाद्य निगम (FCI)। ये संस्थाएं राज्य की अलग-अलग मंडियों में एक्टिव रहीं और किसानों से सीधे गेहूं की खरीद करती रहीं। इससे किसानों को मंडी में बेचने में कोई परेशानी नहीं हुई और उन्हें सही दाम भी मिला।

लाखों किसानों को मिला समय पर भुगतान

इस सीजन में अब तक 4,68,636 किसानों से गेहूं खरीदा गया है और उन्हें कुल ₹16,462.70 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। ये सारा पैसा सीधे DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए किसानों के बैंक खातों में भेजा गया है। इससे सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि किसानों को पैसे के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

इस बार MSP भी ज्यादा, ₹2425 प्रति क्विंटल

सरकार ने इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP ₹2425 प्रति क्विंटल तय किया है। इस रेट ने किसानों को अच्छा मुनाफा दिया, इसलिए ज़्यादातर किसान सरकारी मंडियों में बेचने के लिए आगे आए। MSP में हुई बढ़ोतरी ने बाजार में भी गेहूं के भाव स्थिर बनाए रखे, जिससे फायदा किसानों को ही मिला।

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साल दर साल गेहूं खरीद में हुआ सुधार

अगर पिछले चार सालों की बात करें तो हर साल गेहूं की खरीद में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2022-23 में 41.85 लाख मीट्रिक टन, 2023-24 में 63.17 लाख मीट्रिक टन, 2024-25 में 71.50 लाख मीट्रिक टन और अब 2025-26 में 74.95 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि किसान अब सरकार की खरीद नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं और अपनी फसल खुले मन से बेच रहे हैं।

सरसों खरीद में भी बेहतर प्रदर्शन

हरियाणा सरकार ने गेहूं के साथ-साथ सरसों की खरीद में भी अच्छा काम किया है। 15 मार्च से 1 मई तक चली खरीद प्रक्रिया के दौरान हैफेड और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन ने मिलकर 7.74 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद की है। इससे 2,59,400 किसानों को फायदा हुआ है और ₹4,312.52 करोड़ रुपये सीधे उनके खातों में ट्रांसफर किए गए हैं।

किसान बोले- समय पर खरीद और भुगतान से बढ़ा आत्मविश्वास

इस बार की खरीद प्रक्रिया ने किसानों में विश्वास बढ़ाया है। सरकार ने जिस तरह से एमएसपी पर समय पर खरीद की और सीधे भुगतान किया, उससे किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिली है। खासतौर पर छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए ये राहत की बात रही। अब किसान भविष्य में भी सरकारी योजनाओं के साथ जुड़ने के लिए उत्साहित हैं।

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Disclaimer

यह लेख सार्वजनिक रिपोर्ट्स और सरकारी आंकड़ों पर आधारित है। इसमें दिए गए आंकड़े समय के साथ बदल सकते हैं। कृपया किसी भी सरकारी योजना या निर्णय से जुड़ी अंतिम और सटीक जानकारी के लिए संबंधित विभाग या अधिकृत वेबसाइट से संपर्क करें।

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