Income Tax Notice – यह बात तो आपने जरूर सुनी होगी – “इनकम टैक्स का नोटिस आ गया”, और फिर लोगों का चेहरा फीका पड़ जाता है। लेकिन सच ये है कि हर नोटिस डराने वाला नहीं होता। कई बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सिर्फ जानकारी मांगता है या आपकी मदद के लिए नोटिस भेजता है। तो अगर आपको कभी इनकम टैक्स का नोटिस मिले, तो घबराने की जरूरत नहीं है। चलिए जानते हैं वो 6 तरह के नोटिस जो इनकम टैक्स विभाग आमतौर पर सैलरी पाने वालों को भेजता है और उनका क्या मतलब होता है।
सेक्शन 143(1)(a) – इंटिमेशन नोटिस
ये नोटिस तब आता है जब आपने ITR फाइल कर दिया है और टैक्स डिपार्टमेंट ने उसकी प्रोसेसिंग कर ली है। इसमें बताया जाता है कि आपकी ओर से की गई कैलकुलेशन और डिपार्टमेंट की कैलकुलेशन मैच करती है या नहीं। अगर किसी तरह का अंतर होता है, तो उसका जिक्र भी इसमें होता है।
कब मिलता है ये नोटिस:
- ITR और फॉर्म 26AS में अंतर
- डिडक्शन या क्लेम में कोई गड़बड़ी
- सेक्शन 234A/B/C के तहत ब्याज की गलत गणना
जवाब कैसे दें:
- अगर कोई मिसमैच है, तो 30 दिन के अंदर ऑनलाइन जवाब देना होता है।
- अगर कोई गड़बड़ी नहीं है, तो कोई चिंता की बात नहीं, नोटिस महज जानकारी के लिए है।
सेक्शन 139(9) – डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस
अगर आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त कोई जरूरी जानकारी छोड़ दी या कुछ गलती कर दी, तो यह नोटिस भेजा जाता है।
उदाहरण:
- HRA क्लेम किया लेकिन सैलरी ब्रेकअप में HRA दिखाया ही नहीं।
- FD से ब्याज पर TDS क्लेम किया लेकिन इनकम में उस ब्याज को दिखाया नहीं।
क्या करना होता है:
- नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर फाइल को ठीक करें और फिर से जमा करें।
- जरूरत पड़े तो एक्सटेंशन भी मांगा जा सकता है।
सेक्शन 142(1) – इनक्वायरी नोटिस
अगर आपने तय सीमा में ITR फाइल नहीं किया है या टैक्स डिपार्टमेंट को लगता है कि आपकी इनकम टैक्स के दायरे में है लेकिन आपने रिटर्न फाइल नहीं किया, तब यह नोटिस जारी किया जाता है।
इस नोटिस का मकसद:
- पूछना कि आपने इनकम होने के बावजूद ITR क्यों नहीं फाइल किया?
- ITR डिटेल्स या डॉक्युमेंट्स मांगना
इसका जवाब देना जरूरी होता है। समय सीमा नोटिस में ही दी जाती है।
सेक्शन 143(2) – स्क्रूटनी नोटिस
यह थोड़ा सीरियस नोटिस होता है, क्योंकि इसका मतलब है कि आपकी फाइल की गई ITR की गहराई से जांच होगी।
क्यों आता है ये नोटिस:
- आय या डिडक्शन में गड़बड़ी का शक
- टैक्स डिपार्टमेंट को लगता है कि क्लेम जांचने लायक है
क्या करना है:
- 15 दिन के अंदर जवाब दें या जो समय सीमा नोटिस में दी गई हो उसका पालन करें।
- सभी डिटेल्स और सपोर्टिंग डॉक्युमेंट्स तैयार रखें।
सेक्शन 148 – री-असेसमेंट नोटिस
अगर डिपार्टमेंट को लगता है कि आपने किसी साल की इनकम छुपाई थी और वो असेसमेंट से बच गई, तो आपको सेक्शन 148 के तहत नोटिस भेजा जा सकता है।
कब जारी होता है ये नोटिस:
- जब पुरानी इनकम छुपाने का संदेह हो
- 50 लाख तक की बची हुई इनकम के मामले में – 3 साल 3 महीने तक
- 50 लाख से ज्यादा इनकम छुपी हो – 5 साल 3 महीने तक
इसका जवाब देना बहुत जरूरी है, वरना डिपार्टमेंट केस को दोबारा खोल सकता है।
सेक्शन 245 – एडजस्टमेंट नोटिस
अगर आपका पिछला टैक्स बकाया है और इस बार आपको टैक्स रिफंड मिलना है, तो डिपार्टमेंट सेक्शन 245 के तहत आपके रिफंड को बकाया टैक्स से एडजस्ट कर सकता है।
क्या करना है:
- नोटिस में बताए गए बकाया की जांच करें।
- अगर आप सहमत हैं तो कोई दिक्कत नहीं, अगर नहीं हैं तो जवाब दें।
आखिर में क्या ध्यान रखें?
- हर नोटिस का मतलब पेनल्टी या सजा नहीं होता।
- ज्यादातर मामलों में यह स्पष्टीकरण मांगने या सुधार करने का मौका होता है।
- नोटिस मिलने पर तुरंत उसका जवाब दें, देरी न करें।
- अगर कन्फ्यूजन हो, तो किसी टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें।
इनकम टैक्स के 6 अहम नोटिस – चाहे वो 143(1)(a) हो या 148 – सभी के पीछे सरकार की यही मंशा होती है कि टैक्स सिस्टम पारदर्शी और नियमों के मुताबिक हो। इसलिए टैक्सपेयर्स को घबराने की बजाय समझदारी से जवाब देना चाहिए। और हां, अगर आपने सब कुछ सही ढंग से किया है, तो किसी भी नोटिस से डरने की जरूरत नहीं है।