Interest Free Farm Loan – सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसे सुनकर राज्य के लाखों किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। जी हां, अब किसानों को अपने फसली कर्ज पर किसी भी तरह का ब्याज नहीं देना होगा। यह खबर उन किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत है, जो हर मौसम में खेती की लागत के बोझ से दबे रहते हैं। खासतौर पर बीज, खाद, कीटनाशक और सिंचाई जैसी आवश्यकताओं के लिए उन्हें अक्सर कर्ज लेना ही पड़ता है, और ब्याज चुकाते-चुकाते उनका आधा मुनाफा वहीं खत्म हो जाता है।
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा कोऑपरेटिव बैंक ने 19 अप्रैल 2025 को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें फसली कर्ज पर ब्याज दर को 4% से बढ़ाकर 7% करने की बात कही गई थी। इस फैसले के बाद राज्यभर के किसानों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। किसानों को लगा कि पहले ही प्राकृतिक आपदाएं, कीटनाशकों की महंगाई और मंडियों में फसल की सही कीमत न मिलना जैसी दिक्कतें हैं, अब ऊपर से ब्याज की दर बढ़ा दी गई है।
किसानों और विपक्ष का विरोध रंग लाया
इस फैसले के खिलाफ सबसे पहले विरोध का झंडा उठाया पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने। उन्होंने सरकार से यह फैसला तुरंत वापस लेने की मांग की और कहा कि “किसानों की कमर तोड़ने का ये तरीका ठीक नहीं है।” इसके बाद कई किसान संगठनों और नेताओं ने भी इस फैसले का विरोध किया। प्रदर्शन और नाराजगी का असर यह हुआ कि हरियाणा सरकार को पीछे हटना पड़ा और एक नया आदेश जारी किया गया।
नया आदेश: अब ब्याज नहीं लगेगा
कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक ने एक नया आदेश जारी करते हुए साफ-साफ कहा है कि –
- किसी भी किसान से फसली कर्ज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा।
- यदि पहले किसी किसान से ब्याज की राशि वसूली गई है, तो वह राशि उसे वापस लौटाई जाएगी।
- अगले आदेश तक केवल ब्याजमुक्त कर्ज की ही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
किसानों की सबसे बड़ी राहत
ब्याजमुक्त कर्ज से किसानों को अब कई फायदे होंगे। उन्हें खेती के लिए जरूरी खर्चों के लिए पैसे मिल जाएंगे, लेकिन उस पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं होगा। इससे वे समय पर बीज बो पाएंगे, फसल की देखभाल कर पाएंगे और फसल के बाद बिना ब्याज के केवल मूलधन ही चुका सकेंगे।
क्यों जरूरी होता है फसली कर्ज?
फसली कर्ज यानी “Seasonal Agricultural Loan” एक तरह का अल्पकालीन कर्ज होता है, जो खेती के सीजन में दिया जाता है। इसमें किसानों को बीज खरीदने, ट्रैक्टर किराए पर लेने, खाद और कीटनाशक खरीदने, मजदूरी देने और सिंचाई करने जैसे कार्यों के लिए आर्थिक सहायता मिलती है। कई बार फसल के बाद मिलने वाला पैसा देर से आता है, ऐसे में यह कर्ज एक बड़ी मदद बनता है।
पहले क्यों बढ़ा था ब्याज?
सरकार ने पहले ब्याज दर 4% से बढ़ाकर 7% इसलिए की थी ताकि बैंक को मुनाफा हो और कर्ज की वसूली सुनिश्चित हो सके। लेकिन सरकार को यह समझ आ गया कि इस फैसले से किसानों की हालत और खराब हो सकती है। खेती वैसे ही जोखिम से भरा पेशा है, ऊपर से कर्ज का बोझ उसे और मुश्किल बना देता है।
किसानों ने फैसले का किया स्वागत
हरियाणा के तमाम किसान संगठनों और गांव-गांव में रहने वाले किसान परिवारों ने इस फैसले का स्वागत किया है। किसानों का कहना है कि “सरकार ने हमारी बात सुनी, यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। अब हम कम से कम चैन से खेती कर पाएंगे और ब्याज के डर से डरना नहीं पड़ेगा।”
अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा फायदा
हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां बड़ी संख्या में लोग खेती से जुड़े हैं। जब किसानों के पास पैसा होगा, तो वे अपने खेतों में निवेश करेंगे, नई तकनीक अपनाएंगे और ज्यादा उत्पादन करेंगे। इससे राज्य की कृषि उत्पादन दर भी बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
किसानों के लिए क्या करें आगे?
- अगर आपने पहले ही ब्याज का कोई हिस्सा जमा कर दिया है, तो अपनी शाखा में जाकर रसीद और कागजात दिखाएं। बैंक वह राशि वापस करेगा।
- जिन किसानों को अब फसली कर्ज की जरूरत है, वे नजदीकी एमपैक्स या कोऑपरेटिव शाखा में आवेदन कर सकते हैं। ब्याज नहीं लगेगा।
- सरकार की तरफ से जो भी नई अपडेट आएगी, उसे आप बैंक ब्रांच या वेबसाइट के जरिए जरूर चेक करते रहें।
हरियाणा सरकार का यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। ऐसे फैसले किसानों का भरोसा जीतते हैं और यह साबित करते हैं कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है। अब जब खेती करने में एक बड़ी राहत मिल गई है, तो उम्मीद है कि किसान और भी बेहतर तरीके से उत्पादन कर सकेंगे और राज्य की प्रगति में योगदान देंगे।
अगर आप भी हरियाणा के किसान हैं, तो इस फैसले का पूरा लाभ उठाएं और अपने आसपास के किसानों को भी इसकी जानकारी जरूर दें। ब्याजमुक्त खेती अब सिर्फ सपना नहीं, सच्चाई बन चुकी है।