Monsoon Rain Alert – उत्तर प्रदेश के लिए अच्छी खबर है। मौसम विभाग ने इस साल औसत से ज्यादा बारिश की संभावना जताई है, जिससे प्रदेश को राहत मिलने की उम्मीद है। ऐसे में योगी सरकार ने अभी से जल संरक्षण को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) की मानें तो साल 2024 का मानसून सामान्य से बेहतर रह सकता है। इसी उम्मीद को देखते हुए सरकार ने ‘कैच द रेन’ अभियान को ज़मीन पर उतारना शुरू कर दिया है। इस अभियान का मकसद है – बारिश की हर बूंद को सहेजना और भूजल स्तर को बेहतर बनाना।
‘कैच द रेन’ से हर घर और खेत को जोड़ा जाएगा
उत्तर प्रदेश सरकार ने बारिश के पानी को बचाने के लिए ‘अमृत वर्षा’ योजना को आगे बढ़ाया है। इस योजना के तहत खेतों, तालाबों, नदियों और उनके किनारे बहुउद्देशीय जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है ताकि बारिश का पानी इन जगहों पर जमा हो सके। अमृत सरोवर, खेत तालाब योजना और नदियों के पुनरुद्धार जैसी योजनाओं को एक साथ जोड़कर जल संरक्षण का बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। सरकार की मंशा है कि हर खेत और हर गांव इस मुहिम से जुड़े और वर्षा जल का सही उपयोग हो।
पानी की कमी नहीं, उसका कुप्रबंधन है असली समस्या
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि भारत में असल में पानी की कमी नहीं है, बल्कि उसका सही तरीके से प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। हमारे देश में हर साल औसतन 870 मिमी बारिश होती है, लेकिन इसका बहुत छोटा हिस्सा ही संरक्षित हो पाता है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी यह बात मानते हैं कि देश में जल संकट का मुख्य कारण संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि उनका ठीक से प्रबंधन न होना है।
शहरी इलाकों में भी जल संचयन हुआ अनिवार्य
अब सरकार ने यह तय कर लिया है कि शहरी इलाकों में बनने वाले हर नए मकान या बिल्डिंग में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था अनिवार्य होगी। शहरी स्थानीय निकायों को यह निर्देश दिया गया है कि वे हर इमारत में जल बचत तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित करें। सरकार की यह पहल रंग भी ला रही है। इसी कारण उत्तर प्रदेश को तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में देशभर में पहला स्थान मिला है।
खेत तालाब योजना से बढ़ेगा कृषि उत्पादन
‘खेत तालाब योजना’ की सफलता के बाद सरकार ने इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया है। अब प्रदेश में 8500 नए तालाब बनाए जाएंगे, जिससे खेती को सीधा फायदा होगा। उम्मीद की जा रही है कि इससे धान और मक्का जैसे फसलों के उत्पादन में 12% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं ‘अमृत सरोवर योजना’ के तहत भी हर जिले में 75 तालाबों का निर्माण किया जा रहा है और इसमें भी उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे है।
मौसम का बदलता मिजाज बन गया है चुनौती
जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम का पैटर्न अब पहले जैसा नहीं रहा। कभी अचानक भारी बारिश होती है तो कभी लंबे समय तक सूखा रहता है। इस बदलाव का असर सिर्फ बाढ़ और सूखे तक सीमित नहीं, बल्कि खेती-किसानी और देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। किसानों को सही समय पर बारिश नहीं मिलने से फसलों को नुकसान होता है।
भारत भी जल संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में
डॉ. सिंह बताते हैं कि भारत उन आठ देशों में है जो जल संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन देशों में जल संकट के कारण कृषि उत्पादन में करीब 28.8% तक की गिरावट आ सकती है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है, वहां इसका असर और भी गंभीर हो सकता है। इस सूची में भारत के अलावा मेक्सिको, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अर्जेंटीना और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश शामिल हैं।
बुंदेलखंड पर है सरकार का खास ध्यान
बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट सबसे ज्यादा है। पिछले 77 सालों में यहां औसत बारिश में 320 मिमी की गिरावट दर्ज की गई है। इसीलिए सरकार का खास फोकस अब बुंदेलखंड में जल संरक्षण पर है। यहां के किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि कम पानी में भी खेती अच्छी हो सके।
गोरखपुर में जल संरक्षण का मॉडल तैयार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर परिसर में जल संरक्षण का एक मॉडल खड़ा किया है। यहां गहरे गड्ढे और बोरिंग के जरिए रिचार्ज टैंक बनाए गए हैं, जिनमें बारिश का पानी फिल्टर होकर जमीन में जाता है। इस तरह की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर भूजल स्तर को बढ़ाने में काफी मदद कर रही है।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी समाचार स्रोतों और आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित है। मौसम, योजनाओं और नीतियों में समय के साथ बदलाव संभव है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी योजना या कदम को अपनाने से पहले संबंधित विभाग से पुष्टि अवश्य कर लें।